असीम शक्तियों के स्वामी हे मानव
घूम रहे हो इधर उधर स्वयं को पहचानो
उठा लो गांडीव कृष्ण तुम्हारे साथ है
उज्जवल भविष्य को भेद दो
लक्ष्य तुम्हारे हाथ है
सारे जगत के प्रेरणा स्त्रोत
मान रहे हो तुम्ही हार
जिसकी बुनियाद पर है टिका
ये चराचर अखंड संसार
मानो लो तो स्वर्ग यहाँ है
ठान लो तो फर्क वहां है
तुम चाहो तो रवि उगेगा
तुम चाहो तो पाप मिटेगा
एक अकेला प्राणी ही सारे संसार का निर्माता
कोटि कोटि मिल जाएँ तो बैकुंठ यहाँ चला आता
तुम हो धर्मं के रक्षक, मत बनो भक्षक
अन्तेर्वेद्नाओं की पीड़ा को सुन प्रसस्त करो मार्ग बन तक्षक
तुम धीरवान, दयावान, निर्भय हो
हे मानव तुम्हारी बारम्बार जय हो !!
" चन्द्र मौलि "
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